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जब जब बुराई सिर उठाती है तो उसका खात्मा करने के लिए संत महापुरुषों का अवतार होता है

“आग लगी आकाश में झर झर झरे अँगार, संत न होते जगत में तो जल मरता संसार”

भारत प्राचीन काल से ही गुरुओं का देश रहा है, जब जब बुराई सिर उठाती है तो उसका खात्मा करने के लिए संत महापुरुषों का अवतार होता है ! जिनका हर एक पल मानवतावादी विचारधारा से प्रेरित होता है। संत ऐसे दिव्य शांत सरोवर होते है जो अपने शीतल आश्रय से पूर्ण शान्ति प्रदान करते है ।

वर्तमान समय में डेरा सच्चा सौदा के गुरु संत डॉक्टर गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा है जिनकी देख रेख में देश – विदेशों में मानवता भलाई के 134 कार्य उनके अनुयायियों द्वारा किये जा रहे हैं !

इस कड़ी मे हम बात करेंगे उनके द्वारा चलाए गए मानवता भलाई के कार्य “ब्लड डोनेशन कैंप” की, कि कैसे गुरुजी के एक बार कहने पर करोड़ों लोग खून दान करने को तैयार रहते हैं ! 2010 में डेरा सच्चा सौदा में खूनदान केम्प का आयोजन किया गया जिसमें 43,732 यूनिट खूनदान किया गया जो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल है। हर वर्ष 35,000 से ज्यादा यूनिट खूनदान गुरु जी के शिष्य करते है बिना किसी शर्त के, सिर्फ इंसानियत के मद्देनजर । गुरु जी के शिष्यों को खून दान करके गर्व महसूस होता है ! कहां तो दुनिया के लोग जो अपने रिश्तेदारों को खून देने से कतराते हैं ओर इधर गुरु के शिष्य जो नियमित रूप से खून दान करते हैं !

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गुरु जी इनको चलते फिरते ब्लड बैंक का नाम देते हैं !यह शिष्य गुरु जी के वचनों पर हमेशा फूल चढ़ाते हैं! गुरु जी के द्वारा चलाए गए इन अभियानों से सेना को, थैलीसीमिया पीड़ित मरीजों को, जरूरतमंद गरीब लोगों को, खून दान मिलता है डेरा सच्चा सौदा में हर महीने खून दान शिविर लगाया जाता है तथा शाह सतनाम जी हॉस्पिटल में 24 घंटे बिना किसी पैसे के जरुरत मंद गरीब लोगों को खून मिल जाता है ! धन्य है ऐसा गुरु और इनके शिष्य जो अपना जीवन दूसरों के लिए जीते हैं!

गुरु जी ने मानवता के नाम रक्तदान शिविर से संबंधित एक संदेश दिया है जो इस प्रकार है: – “पूर्वजों की याद में, उनकी पुण्यतिथि पर ,अन्य खर्च करने की बजाय भला कार्य करना चाहिए, अगर रक्तदान करके किसी की जान बचाई जाए तो इससे बढ़िया कोई कार्य नहीं, या इसी तरह के किसी अन्य भलाई कार्य करने का प्रण लो ।

ऐसे गुरु की समाज को बहुत जरूरत है जो दूसरों के लिए जिये, जैसे एक पेड़ खुद फल न खा करके हमेशा दूसरों को ही फल देता रहता है ठीक वैसे ही पूर्ण संत इसी धरा पर रहते हुए दुसरो के भले के लिए ही जीते है। जिनके करोडों अनुयायी माँस शराब छोड़ कर सभ्य जीवन शैली अपना कर अपना जीवन यापन कर रहे है।

गुरु ही ऐसी शख्सियत है जिनका पूरा जीवन इंसानियत कार्यों में लगा होता है, क्योंकि आज कल लोगों को इतनी फुर्सत ही कहा कि वह दूसरों के बारे में सोच सके! एक व्यक्ति का जीवन खुद तक सीमित है , इसलिए गुरु का होना हमारे लिए बहुत जरूरी है!

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संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा को तो अंतरराष्ट्रीय मंच यूएन से भाषण देने के लिए न्योता भी आ चुका है वहीं हमारे खुद के देश भारत में गुरु जी को को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही जिन का मुख्य कारण ड्रग्स माफिया और राजनीतिक दल है जो यह नहीं चाहते की भारत तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़े और भारतवर्ष के लोग मांस शराब छोड़ कर, भाईचारे से, अपनी जिंदगी व्यतीत करें! ड्रग्स माफिया हमेशा से ही पूर्ण संतो के कार्य में बाधा उत्पन्न करता आ रहा है! इसका परिणाम भविष्य में बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि आदि काल से ही पूर्ण संत महात्मा ही लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़कर रखते हैं!

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