प्यारे मित्रों पेश है आप सबके लिए एक प्यारी सी कविता | जिसकी लेखिका है “निधि इंसान” | जो एक म्यूजिक टीचर व सामाजिक कार्यकर्ता है | इसके बारे मे अपने विचार कमेन्ट जरूर लिखे जी |
कलयुग था यौवन पे, उसको तो आना ही था,
अब तो उसे सभी को पाठ पढ़ाना ही था, जिसमें इंसान को इंसान बनाना ही था।
आग बहती थी जहां गंगा में, उसे तो साफ करवाना ही था ,
वैश्या तक को अपनी बेटी बना के उसे भी सम्मान देना ही था,
उसका मकसद केवल एक था इंसानियत की महफ़िल रहे रोशन सदा ,
अपने खून का कतरा कतरा बहाकर भी समाज को बुराइयों से बचाना ही था ,
कलयुग था जोरों पे, Dr. MSG को तो आना ही था।
इतिहास बनाना बात आम ही लगने लगी, जब जाना कि उसने तो एक नए युग को ही गति दे दी,
पापियों का संहार करना भी बात आम ही लगि जब देखा कि बिना संहार किये इंसानियत भूले लोगों को उसने इंसानियत दान दे दी,
जहां लड़ाई थी मज़हबों की वहां अब उसने लोगों को इंसां नाम की ये दात दे दी,
जहां करोडों लोगों के हाथ में शराब थी वहां उसने सफाई अभियान चलाकर उनके हाथ में झाडू दे दी,
कलयुग था जोरों पे, Dr. MSG को तो आना ही था ।
लोग कहते हैं वो सिर्फ एक गुरु है, मगर एक बात बता दूं दोस्तों वो खुद खुदा है,
लोग उठते हैं सूरज देख कर, पर जो इंसानियत का नया सूरज निकाल दे वो बस एक खुदा है,
जब बात धर्म मज़हब से हटकर इंसानियत की होने लगे तो समझ लेना ये तो हम सबका पिता है,
कलयुग है जोरों पर, पर अब फिक्र नहीं मुझे कयोंकि मुझे मालूम है कि वो यहां खड़ा है।
कलयुग था यौवन पे, उसको तो आना ही था |
1 Comment
Chanchal Sharma
(January 5, 2021 - 8:55 pm)Reality