तवायफ कैसे बनी घर की रौनक :- एक सच्ची कहानी पार्ट – 2

आपने इस लड़की से शादी क्यों की ?

आलोक ने बताया कि यह शादी मैंने अपने पिता जी के कहने से करी है मैंने उनको स्टाम्प पर लिख कर वादा किया हुआ था कि जिस लड़की से वो शादी के लिए कहंगे में उससे शादी कर लूंगा । इसलिए मैंने इस लड़की से शादी की है ।मैं ये बात सुनकर अचंभित हो गई कि आज के  इस मॉडर्न समय में इतना पढ़ा-लिखा बंदा ! विदेशों में घूमने वाला इन्शान ऐसे विचार और अपने पापा के कहने से इस तरह की लड़की से शादी कर ली।

मैने उसको बोला आपने एतराज क्यों नही किया? उसने बोला हम अपने पापा की किसी भी बात को मना या टाल नहीं सकते ।  अगर उन्होंने मेरी जान मांग ली तो मैं अपनी जान भी दे सकता हूं । सारी धन-दौलत मांग ली तो मैं भी वह भी खुशी खुशी उन पर न्यौछावर कर सकता हूँ ।मैं अपने पापा जी से बहुत प्यार करता हूँ। उनकी हर बात को मानता हूँ । उन्होंने जो मेरे लिए सही समझा  वहीं उन्होंने किया है । उन्होंने बोला कि इस लड़की से शादी करनी है।तो मैने शादी कर ली ।

ये कौन है ? कहां से आई कैसे आई है ? इससे मेरा कोई मतलब नहीं है ।सिर्फ जो मेरे पापा ने बोल दिया मैंने किया है ओर जीवन भर करता रहूंगा ।

अब यह बात सुनकर के आज के दौर में इस मॉडर्न समय में हाई-फाई बन्दे के विचार सुनकर में दंग रह गई । मैंने उनको बोला कि मुझे अपने पापा से मिलाओ । उसने कहा ठीक है मैं आपको अपने पापा से मिला दूंगा उसने कहा कि मुझे सवाल उनसे करना है कि आपने इतने अच्छे बच्चे की शादी इस तरह की लड़की से क्यों की ।

एक आलोक का फोन आया कि 25,26 जनवरी को ऑफिस की छुट्टी है चलो आप मेरे साथ मे आपको अपने पापा जी से मिलवा लाता हूँ। और आपको मेरे पापा से मिलना भी है । मैंने अमित को बताया तो वो भी हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो गया । हम सभी एक साथ आलोक के पापा से मिलने चल दिये ।

उस दिन 25 जनवरी थी  | रास्ते में हमारी बातें हुई खूब हंसी मजाक करते हुए हम लोग जा रहे थे उस समय आलोक ने बताया अपने पापा का मैं अकेला बेटा हूं |  मेरी एक बहन है इसकी शादी हो गई है | हम सभी साथ में मिलकर वहां पहुंच गए ।

वहां पर इतने लोग थे  जिन्हें देख कर मेरी हालत खराब हो गई | वहां पर करोड़ों की संख्या में बहन – भाई बैठे हुए थे |  वे सभी बहुत ही शिष्टाचार के  तरीके बैठे हुए थे |   वह दृश्य मन मोह लेने वाला था | हम सभी भी उन्ही के हिसाब से वहां पर बैठ गए | कुछ समय बाद हमने देखा कि वहां पर शादियां होने लगी | सबसे पहले वहां पर आदिवासी की शादियाँ हुई उनकी संख्या में लगभग 135 थी | जो की  बिना दहेज की शादी थी और बड़ी खुशी के साथ सब लोग नाच रहे थे गा रहे थे |

फिर उसके बाद शुभ देवी और भक्त योद्धा के नाम से एक शादी हुई और जो अति उत्तम पुरूष उनकी  शादियां करा रहे थे |  उन्होंने शुभ देवी और भगत योद्धा को टोकन ऑफ लव  प्यार के तोहफे के रूप में शादी का सारा समान व्  ₹25000 का चैक उपहार के रूप में उन दोनों को दिया |  वह नजारा वह सीन देख कर के मेरे होश ही उड़ गए |   मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कहीं धरती पर नहीं स्वर्ग में ये नजारा देख रही हूँ | जिसे मैं एक टक देखे जा रही थी ।

कुछ पलों के बाद एक लड़की बैंड बाजो के साथ बारात लेकर आती हुई दिखी  | सभी लोग उसको देखने लगे |  यह दृश्य देख कर के मेरे होश ही  उड़ गए | एक लडकी ने सर पर सेरा  बांध के अपनी सहेलियों के साथ पूरे बैंड बाजों के साथ और बरात लेके आ रही है |  ऐसा काम इस धरती पर हो रहा है या स्वर्ग में | मैं बेठी हुई ये सोच रही थी |  और वो लड़की दुल्हे को शादी करके अपने घर ले गई | उसके बाद काफी और भी शादियां हुई ।

मैं ये सब देख कर  बड़ी हैरान थी |  जब यहाँ मैंने ये सब प्रोग्राम देखे तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा| फिर कुछ समय के बाद वह प्रोग्राम खत्म हो गया और हम लोग प्रोग्राम से बाहर आए | मैंने आलोक से पूछा ?  ये शुभ देवी कौन है ? तब आलोक ने बताया शुभ देवी  वो लडकियाँ है  जो वेश्यावृत्ति में मजबूरी व् लाचारी वस  फँसी हुई थी | उनको वहाँ से निकाला और इस महान आत्मा ने उनको अपना नाम देकर अपनी बेटी बनाया | उनका सही इलाज करा कर उनकी पसंद के लड़को  के साथ इनकी शादिया कराई है |

 मैंने  पूछा कि आपके पिताजी कौन है ?

अब आलोक ने बताया कि यही मेरे पिता है |  इनके कहने से ही मैंने इस लड़की से शादी की है | ये सुनते ही मेरी आंखों से आंसू टपकने लगे मेरी आंखों से इतना तेज आंसू धारा बहने लगी और मैं तेज तेज रोने लगी | और सोचने लगी की क्या ऐसी शक्ति इस दुनिया के अंदर आज  भी है |  ऐसे महान आत्मा , ऐसी बेटियों के रखवाले,  बेटी की इज्जत करने वाले,  हमें आज भी हमारे समाज में है|

एक तरफ जहां बेटी की इज्जत को लड़की को  लोग नोच – नोच कर खा रहे हैं | उसकी इज्जत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं | उनके जिस्म से  पैसा कमा रहे हैं | और ना जाने लडकियों पर क्या क्या अत्याचार हो रहे  है | और इस दुनिया में एक ऐसे महान पुरुष भगवान रूप में इस धरती पर है जो लड़कियों को गंदगी से निकाल कर  इतने ऊंचे व्  ऐसे लड़को के साथ उनकी  शादियां कर रहे है | उनको इतना मान दे रहे है | धन्य है ! यह महापुरुष जो इसे नेक कार्य कर रहे है | और इनकी  बातों  पर अमल करके इनके शिष्य इसे भलाई के कार्य कर रहे हैं |

दोस्तों  !!!  पल्लवी की वह बातें सुनकर और यह सीन देख कर के मेरा दिलों दिमाग हिल गया | और मैंने अमित को बोला कि जो अच्छाई आज का इन्शान सोच भी नहीं सकता | उन कार्यो को हम अपनी आँखों से हम होते हुए देखा है |

हे ! भगवान !  ऐसे कार्य तो आज टक किसी अव्ता या गुर्रू ने भी नही किये है जो हमने यहाँ पर होते हुए देखे है | ऐसे कार्य तो केवल भगवान् ही कर सकता है इंसान के बस की बस की बात नही है |  मैं भी उन महापुरुष से मिली तो मुझे भी  बहुत अच्छा लगा | इसके बाद में अपने आंसुओ को रोक नहीं पाई और काफी  टाइम तक मैं रोती रही |

दोस्तों अब मैं आपको पल्लवी  की भी थोड़ी सी कहानी बताना चाहती हूँ |  जो इस दुनिया को जानना चाहिए | पल्लवी वह लड़की है जिसकी  कहानी सुनकर के आप अपने आंसुओं को नहीं रोक पाओगे |  उसकी मम्मी उसके जन्म के कुछ समय के बाद चल बसी और उसके पापा शराब पीते थे | बड़ा भाई का व्यवहार अच्छा नही था |

एक दिन पल्लवी और उसकी भाभी की किसी बात को लेकर लड़ाई हो गई उसी रात उसके भाई ने शराब के नशे में उसको घर से बाहर भगा दिया और वो ट्रेन में बेठकर दिल्ली आ गई | उसकी उम्र  15 वर्ष थी |  वह अकेली रेलवे स्टेशन पर बैठी रो रही थी | फिर एक औरत आई उसने  उससे पूछा कि तू क्यों रो रही है |  उसने अपनी आपबीती बताई कि मेरी भाभी ने मुझे मारा और  मेरे भाई ने मुझे घर से निकाल दिया |

 वह औरत उसे अपने साथ ले गए शुरू में उसे लगा कि यह अच्छी औरत है लेकिन कुछ दिन बीत जाने के बाद वह औरत एक कोठे पर ले गई और उसने वहां पर उसको बेच दिया | अब मैं घायल आत्मा इसे घोर नर्क में चली गई जहां से कोई निकल नही सकता |

अब  मेरा वहां से निकलना नामुमकिन सा हो गया | लोगो ने मेरा शरीर को नोच नोच कर खाने लगे | लोग आते और मेरे शरीर को नोच नोच कर खा जाते हर रोज तड़प तड़प कर रोने लगी | हर रोज मैं मरने लगी | मैं अपनी पीड़ा किसो भी नही बता सकती |  मैं सुबह शाम भगवान को कोसती भी थी और उसकी पूजा भी करती थी |

 प्रभु !  हे मेरे मालिक ! कहां नरक में धकेल दिया मैंने तो कोई बुरे कर्म नही किए  फिर ये किस बात की सजा दी है |

मैं दिन रात रोती तड़पती भगवान की आराधना करती और कहती कि अगर तू इस धरती पर है  तो मुझे यहाँ से निकाल और मैं भगवन को कोसती  भी रहती थी |  कुछ समय बीत गया जिंदगी  में नर्म की दलदल में  धीरे-धीरे करके  धसती चली गई | और मेरी आशा भी टूट चली थी |

एक दिन एक फरिश्ता कोठे पर आया उसने बोला बहन ! अगर आप यहां से निकलना चाहते हो ये  तो  यह एक फोन नंबर है और यह कुछ पैसे हैं लो यहां से भाग करके आप इस नंबर पर फोन करना फिर हम आपको आगे का रास्ता बता देंगे | मैं अभागन उस पर  कैसे विश्वास कर पाती क्योंकि मैं तो नरक में रह रही थी |  वहां अच्छा आदमी तो कोई आता नहीं था , लगा कि कहीं ये किसी  और दलदल में मुझे लेकर जाएगा | मैंने उससे कहा  आप क्यों ऐसा करना चाह रहे हो उसने अपने गले में से भगवान का लॉकेट दिखाया और बता कि इनके कहने से मैं आपके पास आया हूँ और इन्होने  बोला है आपको ये मेसेज देने के लिए | उससे कुछ बातें हुई उसकी बात में मुझे सच्चाई नजर आई और मुझे उस पर  विश्वास हुआ | और वो चला गया |

 फिर मैंने सोचा लोग यहा गंदे कर्म करने आते है लेकिन इस बंदे ने  मेरे साथ कोई गंदा कर्म भी नहीं किया और मुझे एक बहन कह कर के पुकारा है  तो यह वाकई में ही कोई सच्चा इंसान है | इसकी बातों में सच्चाई नजर आई |   एक  दिन जैसे ही मुझे मौका मिला में वहाँ से  निकल गई | इसके  बाद में मैंने उस नंबर पर कॉल किया उसने मुझे बताया कि आप दिल्ली आई एस बीटी जा कर टिकिट घर पर अपना नाम बता देना वहा आपको टिकट मिल जाएगी और सामने जो बस खड़ी हो उस पर चढ़ जाना | मैंने ऐसा ही किया  और मैं बस में बैठ गई फिर उसके बाद मैंने  फरिश्ते को फोन किया उसने बताया कि उस बस स्टॉप पर उतर जाना | 

वहां पर आपको एक ऑटो रिक्शा मिलेगा वो आपको आपकी मंजिल पर पहुँचा देगा और  आप घबराओ नहीं | ऐसे ही हुआ वहां पर एक ऑटो वाला मिला उसको बिठाकर उस फ़रिश्ते के पास  पर ले गया  जिस फरिश्ते ने उसको बुलाया था |

 जब वह उनसे  मिली तो उसने सबसे पहला सवाल यही किया |कि मुझे यहाँ  क्यों बुलाया है  | किसके कहने पर बुलाया है | कभी  आप को मैंने नहीं बोला कि मुझे यहां बुलाना |  उस फरिश्ते ने एक ही जवाब दिया कि फिर क्यों हर रोज रोती थी ,तड़पती थी और कहती थी कि मुझे यहां से निकाल लो और रोती रहती थी |  फिर क्यों भगवान के सामने प्रार्थना कर रही थी निकलने के लिए और आज निकल कर आ गई तो आज उन्ही से सवाल क्यों पूछ रही है ? कि मुझे क्यों बुलाया यह बात सुनकर कि वो तेज तेज रोने लगी बहुत तेज तेज रोने लगी |

उसे ऐसा लगा जैसे खुदा के दर्शन कर लिए हो | उन्होंने इसका  इलाज कराया  उसे  संस्कार दिए और अपनी बेटी बनाया | उसकी पसंद के लड़के से वेल एजुकेटेड लड़के के साथ करोड़ो लोगों के सामने उसकी शादी कराई और समाज की मुख्य धरा से जोड़ कर ऊँचा खिताब दिया है |

दोस्तों !!! अब यह देखो कि इस दुनिया में ऐसा कोई सोच भी नही सकता की क्या कभी   वैश्या जो कल कोठी की रौनक थी |  आज किसी आंगन में खुशियां भर रही है |  जी हां मैंने अपनी आंखों से देखा है ! यह  कहानी , कहानी नहीं सौ परसेंट सच है |   

कौन है वो फरिस्ता ?

अब आप लोगों के दिल में भी इच्छा होगी की वो पिता कौन है ?  वह जगह कौन सी वो कहां है ? इस दुनिया के अंदर है या कंही और जहां पर इसे नेक इन्शानियत के कार्य  होते हैं  कौन सी वो  ऐसी जगह है ?

जी हाँ, दोस्तों उस जगह  को मैं आपको बताना चाहती हूं ! उस फरिश्ते के बारे में भी बताना चाहती हूं !!!! 

वह फरिश्ता है संत डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह इंसान |  वह जगह है डेरा सच्चा सौदा हरियाणा | वहाँ पर आज तक अनेको  वेश्याओ की शादियां हुई है जो सफलतापूर्वक समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर के अपना जीवन व्यतीत कर रही है |  ऐसे गुरु को बारोबार धन्य धन्य करती हूँ |

आशा करती हूं सच्ची कहानी व सची बातें आपको जरूर पसंद आई होंगी |आप अपनी राय हमारे कमेंट बॉक्स में जरूर डालें | धन्यवाद

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